प्यार
करना मतलब आपको कुछ आता है, प्यार करने लायक बनना मलतब थोड़ा-बहुत अच्छा
आता है लेकिन प्यार करना और साथ में करने लायक बनना, इसका मतलब है कि आपको
सबकुछ आता है। प्यार को कभी किसी का दिया हुआ अनुदान समझकर स्वीकार ना
करें। क्योंकि प्रेम अनुदान नहीं होता, प्रेम तो शाश्वत 'प्रदान' है। प्रेम
कुछ लेना नहीं जानता, प्रेम तो सिर्फ देने में विश्वास रखता है।
जिस से भी हम प्यार करते हैं, उससे बिना किसी शर्त के, बिना किसी लालच के, बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये। क्योंकि जब हम किसी को दिल से प्यार करते है, तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते हैं। हो सकता है कि आपके रिश्ते में झगड़े हों, लेकिन पहले झुककर उससे प्यार से बात करें। क्योंकि किसी के सामने झुकने का अर्थ यह नहीं है कि आप उससे छोटे हो गए या हार गए, बल्कि इसका मतलब होता है कि आपमें उस रिश्ते को निभाने की क्षमता ज्यादा है, आपमें उस रिश्ते के प्रति अधिक समर्पण है, और आप उस रिश्ते को अपने अहंकार से ज्यादा प्यार करते हैं।
प्यार से बोला गया आपका एक शब्द दो दिलों के बीच हो रहे बड़े से
बड़े मनमुटाव को भी खत्म कर सकता है। हालांकि आज हम उस दौर में जी रहे हैं
जहां हम दुश्मन तो आसानी से पहचान जाते हैं लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को
पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। तो प्यार करिएगा, तो संभलकर
क्योंकि हो सकता है कि आपका एक गलत फैसला आपकी जिंदगी को जन्नत से जहन्नुम
बना दे।
प्यार एक गहरा और खुशनुमा अहसास है। जब किसी से प्यार होने लगता है तो रिश्ते की शुरुआत में हम अक्सर सिर्फ सकारात्मक चीज़ें ही देखते हैं, और सातवें आसमान पर खुद पर महसूस करते हैं। यह एहसास इतना गहरा होता है कि यदि हमें उस व्यक्ति से बदले में उतना ही प्यार न मिले तो काफी दुःख पहुंचता है। वक़्त के साथ प्यार की 'शुरुआत' वाला अहसास बदलने लगता है, और अब यह अहसास पहले से गहरा, मजबूत, होने लगता है- अब आप उनसे प्यार करने लगे हैं।
निष्कर्ष यह है कि प्यार अलग अलग चरणों में विकसित होता है। पहले शारीरिक आकर्षण का दीवानापन, फिर स्वप्नलोक, फिर मजबूत लगाव और उसके बाद दौर आता है गहरे प्यार का जो अक्सर उम्र भर तक रहता है। इसमें ना जाति का भेद देखा जाता है, ना धर्म का... इस मोहब्बत में सिर्फ मोहब्बत होती है... जो रूह से रूह तक का जुड़ाव रखती है... इस पूरी कथा को लिखने के बाद मन में एक सवाल उठा है...
आखिर 'सलीम' जब 'आराधना' से सच्चा प्यार करता है तो उसे 'शहनाज' बनाए बिना शादी क्यों नहीं कर सकता?
जिस से भी हम प्यार करते हैं, उससे बिना किसी शर्त के, बिना किसी लालच के, बिना किसी द्वेषभावना के हमेशा दिल से प्यार करते रहना चाहिये। क्योंकि जब हम किसी को दिल से प्यार करते है, तब हम सामने वाले के दिल में हमेशा के लिए बस जाते हैं। हो सकता है कि आपके रिश्ते में झगड़े हों, लेकिन पहले झुककर उससे प्यार से बात करें। क्योंकि किसी के सामने झुकने का अर्थ यह नहीं है कि आप उससे छोटे हो गए या हार गए, बल्कि इसका मतलब होता है कि आपमें उस रिश्ते को निभाने की क्षमता ज्यादा है, आपमें उस रिश्ते के प्रति अधिक समर्पण है, और आप उस रिश्ते को अपने अहंकार से ज्यादा प्यार करते हैं।
प्यार से बोला गया आपका एक शब्द दो दिलों के बीच हो रहे बड़े से
बड़े मनमुटाव को भी खत्म कर सकता है। हालांकि आज हम उस दौर में जी रहे हैं
जहां हम दुश्मन तो आसानी से पहचान जाते हैं लेकिन सच्चे या झूठे प्यार को
पहचानना दिन-ब-दिन मुश्किल होता जा रहा है। तो प्यार करिएगा, तो संभलकर
क्योंकि हो सकता है कि आपका एक गलत फैसला आपकी जिंदगी को जन्नत से जहन्नुम
बना दे।प्यार एक गहरा और खुशनुमा अहसास है। जब किसी से प्यार होने लगता है तो रिश्ते की शुरुआत में हम अक्सर सिर्फ सकारात्मक चीज़ें ही देखते हैं, और सातवें आसमान पर खुद पर महसूस करते हैं। यह एहसास इतना गहरा होता है कि यदि हमें उस व्यक्ति से बदले में उतना ही प्यार न मिले तो काफी दुःख पहुंचता है। वक़्त के साथ प्यार की 'शुरुआत' वाला अहसास बदलने लगता है, और अब यह अहसास पहले से गहरा, मजबूत, होने लगता है- अब आप उनसे प्यार करने लगे हैं।
निष्कर्ष यह है कि प्यार अलग अलग चरणों में विकसित होता है। पहले शारीरिक आकर्षण का दीवानापन, फिर स्वप्नलोक, फिर मजबूत लगाव और उसके बाद दौर आता है गहरे प्यार का जो अक्सर उम्र भर तक रहता है। इसमें ना जाति का भेद देखा जाता है, ना धर्म का... इस मोहब्बत में सिर्फ मोहब्बत होती है... जो रूह से रूह तक का जुड़ाव रखती है... इस पूरी कथा को लिखने के बाद मन में एक सवाल उठा है...
आखिर 'सलीम' जब 'आराधना' से सच्चा प्यार करता है तो उसे 'शहनाज' बनाए बिना शादी क्यों नहीं कर सकता?
